Sriramcharitmanas aur Prabandhan Neeti – Rajeev Acharya & Surabhi – Review

Post Category: Non-fiction
Sriramcharitmanas aur Prabandhan Neeti book Rajeev Acharya review




बाल्य काल से ही हमें रामचरितमानस ग्रंथ की महानता के विषय में बताया जाता है। यद्यपि भारतवर्ष के प्रत्येक (तार्किक रूप से) परिवार में श्री राम और उनकी महत्ता की विशिष्ट थाती है, आधुनिक परिपेक्ष में अन्वेषण करने पर हमें कहीं न कहीं आश्चर्यचकित करने वाले परिणाम मिल सकते हैं! चलिए, अब समस्याओं से अलग हटकर विषय की बात हो जाये! श्रीरामचरितमानस गोस्वामी तुलसीदासजी द्वारा रचित एक ऐसा ग्रंथ है जिसमें, भगवद गीता की भांति मानव जीवन के सभी प्रश्नों के उत्तर मिलते है। यह ग्रंथ एक आदर्श गुरु की भांति हमें जीवन के प्रत्येक संदर्भों के विषय में शिक्षित करता है, सच्चे मित्र की भांति समय-समय पर हमारी सहायता करता है, और अच्छे मार्गदर्शक की भांति जीवन में हमें सही राह दिखाकर जीवन-लक्ष्य को भेदने में हमारी सहायता करता है। इससे जुड़े सभी पात्र हमें जीवन के गूढ़ रहस्य की शिक्षा देते है। और फिर, कभी दादी से, कभी नानी से तो कभी माँ से, प्रभु श्री राम, माता सीता और भक्त हनुमान के बारे में हमने विविध कहानियां सुनी है। मैंने तो दशहरे के पर्व पर होने वाली राम-लीला को कितनी ही बार देखा है और उसमें भाग भी लिया है। सच में, जब भी मैं उन पलों को याद करती हूँ तो मुझे बहुत ही सुंदर अनुभूति होती है। चलिए अब इस लेखनी के मूल तत्त्व पर थोड़ी चर्चा की जाए। राजीव आचार्य जी की पुस्तक, श्रीरामचरितमानस और प्रबंधन नीति, जो की उन्होंने अपनी पत्नी सुरभि के साथ मिलकर लिखी है, के बारे में इस लेख में मैं बात करुँगी मैं!

गोस्वामी तुलसीदास जी रचित महान ग्रंथ आज केवल पूजा घर तक ही सीमित रह गया। लोगों की व्यस्त दिनचर्या उन्हें इस महान ग्रंथ की अनन्य विशेषताओं से दूर रखती है। एक कारण यह भी है कि लोग जहां आज हिन्दी भाषा से ही दूरी बनाए हुए है, ऐसे में इस ग्रंथ में छिपी अमूल्य ज्ञान-निधि को जानना, पहचान करना और समझना उनके लिए अत्यंत कठिन है। राजीव ‘आचार्य’ और उनकी पत्नी सुरभि जी ने उनकी किताब ‘श्री रामचरितमानस और प्रबंधन नीति’ के माध्यम से रामचरितमानस के पृष्ठों में बह रही असीम ज्ञान-गंगा को आधुनिक जीवन की ओर मोड़ हमें इस ज्ञान-गंगा में डुबकी लगाकर, जीवन को सफल और सार्थक बनाने का प्रयत्न किया है। यूँ तो रामचरितमानस में जीवन-शैली से लेकर जीने की कला का सविस्तार वर्णन है, राजीव और सुरभि जी ने इस पवित्र ग्रंथ से प्रबंधन, नियोजन और नेतृत्व कौशल के सूत्रों को चुन कर अपनी किताब में संकलित कर आधुनिक काल में उनकी महत्व को सरल भाषा में प्रस्तुत किया है।

राजीव और सुरभि जी ने इस किताब में न केवल रामचरितमानस अपितु वाल्मीकि रामायण, आध्यत्म रामायण, विचित्र रामायण, आनंद रामायण, अद्भुत रामायण, कौशिक रामायण, रघुवंशम, श्रीमदभगवदगीता आदि से उपयुक्त प्रबंधन प्रसंगों इकट्ठा कर उन्हें प्रभावशाली तरीके से आधुनिक प्रबंधन एवं नेतृत्व के संदर्भ में बताया है। संस्थागत प्रबंधन और नेतृत्व के सूत्रों के साथ-साथ यह किताब हमें हमारे प्रत्येक स्वरूप में (चाहे वह पति हो, पत्नी हो, माता हो, पिता हो, पुत्री हो, पुत्र हो, मित्र हो, गुरू हो, इत्यादि) स्वयं को किस प्रकार आदर्श रूप में स्थापित करना चाहिए इसे विषय का भी विवरण विस्तार से देती है।

अगर हम रामचरितमानस के पात्रों की चर्चा करें तो उस दृष्टि से भी यह किताब अत्यंत ही रोमांचक उदाहरण हमें देती है और उनकी कुशलता, नियोजन, नेतृत्व गुणों के विषय में भी बताती है। जैसे कि जामवन्त को यहां कुशल मैनेजर के रूप में दिखाया गया है। जब हनुमान जी विशाल समुद्र को पार करने का सोचकर ही घबरा रहे थे तब जामवन्त जी उनका मार्गदर्शन करते है और उन्हें उनकी क्षमताओं से उनका परिचय करवाते है। उन्हें प्रेरित करते है। उसी तरह, श्री राम प्रभु के लक्ष्य को (माता सीता की खोज और दुराचारी रावण का अंत) जिस भांति समस्त वानर सेना अपना लक्ष्य बना लेती है, यह टीम की एक जुटाता और समन्वय का बहुत ही अच्छा उदाहरण देता है। 

मेरे विचार में राजीव जी और सुरभि जी की यह किताब हर आयु वर्ग के लिए एक बहुत ही प्रेरक किताब है। न केवल संस्थागत अपितु स्वयं प्रबंधन के लिए भी यह एक आदर्श किताब है। और यह हमें हमारे धर्म से, हमारी संस्कृति से भी जोड़ने का प्रयास करती है। दोनों लेखकों ने बहुत ही सुंदर तरीके से रामचरितमानस जैसे महान ग्रंथ  में छिपी अमूल्य निधि को हमारे लिए सरल भाषा में प्रस्तुत किया है। इस किताब को सभी को एक बार अवश्य पढ़ना चहिए। यह किताब निःसंदेह व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन ऐसे गूढ़ मंत्रों को उजागर करती है जो हमें सहज, सरल, सार्थक जीवन जीने में सहायक होंगे।

यहाँ से पुस्तक खरीदें – अमेज़न इंडिया लिंक

यह समीक्षा पराकाष्ठा द्वारा लिखी गयी है।

Sriramcharitmanas aur Prabandhan Neeti – Rajeev Acharya & Surabhi – Review
  • IBC Critical Rating
5

Summary

A versatile yet simple book that opens up to the world the treasure that SriRamCharitManas contains… the quality of leadership, the spirit of teambuilding and many mantras to make one’s life useful will come to the fore once you read this book!

Explore More Posts:
#Philosophy#Religious#Spiritual




Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Fill out this field
Fill out this field
Please enter a valid email address.